Sunday, November 8, 2009

छुट्टी

एल टी सी लेने का समय दिसम्बर तक ही है.अभी कहीं  नही गए तो निरस्त हो जायेगी,पति ने कहा तो वो सोच में में पड़ गयी.पिछले तीन सालों से कहीं घूमने नही जा पाए,क्या करे क्या न करे.जाने में घर की व्यवस्था करने में कोई दिक्कत नही है पर छुट्टी लेना बहुत मुश्किल काम है.फिर भी अब सोच लिया अभी समय ठीक है बच्चों की एक्साम भी नही है,ऑफिस में भी ज्यादा लोड नही है,६-७ दिन तो निकाले  जा सकते है,रिजर्वेशन भी इत्तफाक से मिल गया.उसने लीव ऍप्लिकेशन भरी कारण क्या लिखूं सोचते सोचते भी उसने सही लिखा,गोवा घूमने जा रहे है .
सुनते ही बॉस की भ्रुकती  तन गयी भी ये कोई समय है,आप को सोच समझ कर प्रोग्राम बनाना चाहिए आदी आदी.
उसने कहा भी मैंने पिछले तीन महीनों से कोई छुट्टी नही ली है पिछले दो सालों से सी एल इनकैश करवा रही हूँ ,यहाँ तक की बीमार होने पर भी कभी छुट्टी नही ली .पर बॉस ने साइन नही किया तो नही किया,थोडी बहस भी हुई आख़िर शर्त रखी गयी की इन छुट्टियों में आपका काम कौन और कैसे सम्हालेगा इसकी रूपरेखा बना कर जाइये,ठीक है ये भी सही सोच कर उसने हाँ कर दी.
इस बारे में पतिदेव को बताया तो बोले तुमने कहा क्यों की गोवा घूमने जा रही हो बोलना  था भाई के घर कार्यक्रम है ,तारीख निश्चित हो गयी है इसलिए जाना जरूरी है.सही बात बता कर कभी छुट्टी मिलती है .
खैर जो होना था सो हो गया .
पिछले दिनों एक और सहकर्मी भी तो घूमने गयी थी उससे पूछा तो उसने बताया मैंने तो कहा था की "मौसी सास के यहाँ शादी है उसके बाद कुलदेवी के दर्शन को जाना है" तूने सच क्यों कहा ?आजकल सच बोलने का जमाना नही रहा.
दूसरे दिन सारी रूपरेखा ले कर बॉस के ऑफिस में गयी ऍप्लिकेशन दी रूपरेखा दी ,मुंह  बनाते हुए उन्होंने साइन किया ,उठते  हुए उसकी नजर बॉस के पीछे टंगी गांधीजी  की फोटो पर गयी ,और वह एक उन्सास लेते हुए कमरे से बाहर निकल गयी .कविता वर्मा     

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नर्मदे हर

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