Wednesday, February 23, 2011

कुकून


इस नयी सड़क पर आज पहली बार आया हूँ। शहर से दूर दोनों और पेड़ों से आच्छादित शांत सी सड़क। बिना ट्राफिक के ....गाड़ी चलने का मजा तो यहाँ है। अब अगले ३-४ दिन रोज़ यहाँ आना है । रास्ते में चार स्कूली बच्चे पीठ पर बैग लटकाए अपनी बातों में मशगूल चले जा रहे थे। अपने स्कूल के दिन याद आ गए। पता नहीं कितनी दूर है इनका स्कूल ?क्या करू इन्हें लिफ्ट दे दूं। नहीं नया रास्ता नए लोग ,फिर पता नहीं कितनी दूर हो? में बगल से आगे बढ़ गया।
अगagale ले दिन फिर वही बच्चे मिले ,पलट कर गाड़ी को देखा भी नहीं में लिफ्ट दूं न दूं की उहापोह में आगे बढ़ गया।
पापा, पता है तितली के बच्चे जब कुकून से निकलते है तो उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है। पर अगर कोई उनकी मदद कर के कुकून को तोड़ दे और उन्हें बाहर निकाल दे तो वो जी नहीं पाते उनके पंख कमजोर रह जाते है बेटे ने बताया।
आज फिर वही बच्चे मिले अपनी धुन में मशगूल मैंने उन्हें लिफ्ट देने का नहीं सोचा ,में कुकून तोड़ने में मदद कर उन तितलियों के पंख कमजोर नहीं करना चाहता ।

17 comments:

  1. बहुत ही सुंदर दृष्टांत है।
    जिसमें उर्जा होती है वह अपना रास्ता स्वयं बना लेता है।

    आभार

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  2. this only a woman can think who helps kids to grow by their own............grat thought

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  3. is drishtant ke madhyam se bahut kuch sikhne ko mila

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  4. वाह!
    विचारोत्तेजक और प्रेरक लघुकथा। कम शब्दों में विशाल संदेश।

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  5. ऐसी कथा आज के सुविधा भोगी युग में प्रेरणा का काम करेगी ..

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  6. आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

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  7. प्रेरणात्‍मक प्रस्‍तुति ।

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  8. टीचर हो? हा हा हाबच्चों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है.कुकुन को बाहर निकलने में मदद?? यानि उन्हें संघर्ष के योग्य ना बनने देना.जीवन संघर्ष में जो कमजोर पद जाते हैं वो 'सर्वाइव' नही कर पातेते है.क्या खूब सिखा बेटे ने और सिखाया हम बडो को.
    आर्टिकल पोस्ट करने से पहले एक बार ध्यान से पढ़ लिया करो.कुछ आर्टिकल में वर्तनी सम्बन्धी अशुद्दियाँ है.
    हम टीचर है न्? अब भी एडिट कर लो,कोई बात नही.
    प्यार -अच्छा लिखती हो.

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  9. बहुत सुंदर और शिक्षादायक लघुकथा जिससे सीख भी मिलती है और ग्लानि भी मिटी.

    रामराम

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  10. बहुत उम्दा.
    संघर्ष से जो जीवनरस पैदा होता है बहुत ही मधुर होता है.
    सलाम.

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  11. पहली बार आपके व्लाग पर आया और सन्देश देती हुई रचना पढने की मिली.धन्यवाद

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  12. प्रेरक कथा। यह तो दिल में बसा लेने लायक दृष्टांत है।

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नर्मदे हर

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