Saturday, May 28, 2011

रिश्वत



हर न्यूज़ चैनल पर अन्ना हजारे के अनशन की खबर थी. पूरा देश आंदोलित हो उठा था नेहा ने घडी पर नज़र डाली .११ बज गए विवेक अभी तक नहीं लौटे .बच्चे खाना खा कर सो गए .नेहा ने टी. वी बंद कर दिया और अखबार खोल कर बैठ गयी .अखबार में भी वही खबरें .एक बुजुर्ग का यूं आवाज़ उठाना ..वह अभिभूत हो उठी .सच है आवाज़ तो उठानी ही होगी .
नेहा के मन में कुछ कुलबुला गया .आज विवेक से बात करूंगी .ये रोज़ रोज़ ऑफिस के बाद यार -दोस्तों के साथ बैठना ,खाना -पीना और देर से घर आना,बच्चों से तो मिलना ही नहीं होता.घर के लिए भी तो उनकी जवाबदारियाँ है .
विवेक के आने पर वह चुप ही थी ,पर मन में विचार उबल रहे थे .उसकी चुप्पी को भांपते ,बिस्तर पर बैठते विवेक ने उसके हाथ पर दस हजार रुपये रखे और कहा -तुम बहुत दिनों से शोपिंग पर जाने का कह रही थीं न.ऐसा करो कल सन्डे है तुम बच्चों को लेकर चली जाओ ,में छोड़ दूंगा मॉल में .तुम कहो तो में भी चलूँ ,पर तुम्हे पता है में बोर हो जाता हूँ.२-३ घंटे सो लूँगा में तब तक. और हाँ अपने लिए दो -तीन बढ़िया साड़ियाँ ले लेना .पैसों की चिंता मत करना और लगे तो में दे दूंगा .
और नेहा बिना कुछ कहे भाव-विभोर हो कर विवेक के आगोश में समा गयी.

नईदुनिया( इन्दोर) नायिका में २५ मई २०११ को प्रकाशित .

Thursday, May 26, 2011

रांग नंबर

अभी कुछ दिनों पहले जो हुआ सो आपसे शेयर करती हूँ . एक फ़ोन आया मोबाइल पर नम्बर नया था.फ़ोन उठाया हेल्लो..
आप कौन?कहाँ से बोल रहे है?वहां से आवाज़ आयी.
आपने कहाँ लगाया है?किस्से बात करनी है?
आपसे बात करनी है ?
में कौन?मेरा नाम बताइए यदि मुझसे बात करना है तो.
आप ही बता दीजिये.
अरे जब आपको बात करना है तो आपको मालूम होगा न.
हमें तो आपसे बात करना है.
आप कौन बोल रहे है?
राज .
कौन राज ?आपको ये नम्बर कहाँ से मिला?में आपको नहीं जानती.
आपने ही दिया है ये नंबर तो.
मैंने तो नहीं दिया.
फिर हमारे पास कैसे आया?
अरे मुझे क्या पता कैसे आया? वैसे मेरे पास फ़ोन बहुत कम ही आते है और रोंग नंबर तो बिलकुल ही नहीं. इसलिए थोडा मजा भी आ रहा था बात करने में. (वैसे भी छुट्टियों में थोडा बोर हो रही थी.)

आपने ही दिया है .

नहीं मैंने नहीं दिया. आपको बात किससे करनी है? आपसे. अब बाते दुहराने लगी तो मैंने फोन नीचे रख दिया. सोचा थोड़ी देर में खुद ही रख देगा जो भी है.फ़ोन बंद हो गया. एक मिनिट बाद फिर घंटी बजी वही नंबर. फ़ोन काट दिया मैंने. घंटी बार बार बजती रही तो सोचा क्यों न फ़ोन उठा ही लूं. जब पैसे लगेगे तो खुद ही फ़ोन करना बंद कर देगा.इस बार फ़ोन उठा कर फिर नीचे रख दिया. ४-५ बार ऐसा होने पर फ़ोन आना बंद हो गए. राहत की साँस भी न ले पाई थी की २ घंटे बाद फिर वही नंबर अब जब मैंने फ़ोन उठाया तो वहां से फ़ोन पर कोई आवाज़ नहीं.मतलब फ़ोन लगाओ और बात न करो,हंसी भी आयी कितना बेवकूफ है पैसे तो उसी के लग रहे है. खैर मैंने ध्यान नहीं दिया.मिस काल आते रहे. शाम को पतिदेव के सामने आया तो उन्होंने फ़ोन करने वाले को डांट दिया.

दूसरे दिन कान्हा जाना था. रास्ते में करीब ५० फ़ोन आये.हर बार मैंने फ़ोन उठाया बस एक ही बात आपसे बात करना है.एक बार कह भी दिया हाँ करो क्या बात करना है?तो फिर चुप. थोड़ी देर तो मनोरंजन समझ कर ये खेल चलता रहा फ़ोन इसलिए उठाये ताकि रिकॉर्ड में आ जाये,कितनी ही बार फ़ोन गाड़ी के स्पीकर के सामने रख कर उसे गाने भी सुनवा दिए.अंततः जब बोर हो गए तो फिर पतिदेव की शरण ली (वैसे वो शादी में मेरे सुख दुःख में साथ निभाने की कसम खा कर बुरी तरह फंसे है)उन्होंने फिर जोर से डांट लगाई फिर फ़ोन बंद हो गए.

कान्हा में ३-४ दिन प्रकृति की गोद में बड़े सुकून से बीते .जय हो अम्बानी जी की वहां बाकी सभी मोबाइल कंपनियों के नेटवर्क थे बस रिलायंस का ही नेटवर्क नहीं था. खैर वापसी में फिर ये सिलसिला शुरू हुआ. पर इसबार फ़ोन आता और कहा जाता आप फ़ोन लगाओ मेरे पास बेलेंस नहीं है .एक बार तो उसे कह भी दिया की तुम तो एक ही दिन में फोकटिया हो गए. पर जब यहाँ से फ़ोन नहीं लगाया तो बेचारा मायूस हो गया.और फ़ोन नहीं आये.

एक दिन में ७०० किलो मीटर गाड़ी चला कर जब घर पहुंचे नीद से पलकें मुंदी ही थी की रात दो बजे फ़ोन की घंटी बजी फिर वही नंबर वही बात ,झुंझला कर सेल ऑफ कर दिया. पर ये निश्चित कर लिया की इसकी शिकायत करना ही होगी. दूसरे दिन सुबह उठते ही पुलिस के सेल "वी केयर फॉर यु "के नाम एक शिकायती पत्र बना कर भिजवाया. और फ़ोन आना बंद हो गए. अरे अभी तो कार्यवाही शुरू भी नहीं हुई होगी ,शायद बेचारे के पास बेलेंस ख़त्म हो गया. अफ़सोस भी हुआ उसकी शिकायत नहीं करना थी. ३ -४ शांति से गुजरे एक रात १२ बजे पलकें मुंदी ही थी की फ़ोन की घंटी ने बुरी तरह चौका दिया. कोई नया नंबर था .कौन?किससे बात करना है?

आपसे .

आप कौन?आपको नम्बर किसने दिया ?

आपने ही दिया ......वही सिलसिला फिर शुरू.

एक तो आधी रात फिर कच्ची नींद टूटने से में भिन्ना गयी. कहा -पुलिसे में शिकायत कर दूँगी ठीक हो जाओगे. तो फ़ोन किसी और को पकडाया गया. दूसरे ने जो बोलना शुरू किया कान सनसना गए तुरंत फोन कटा और ऑफ कर दिया.बहुत देर तक नींद नहीं आयी ,और सोच लिया इस नंबर की भी शिकायत करना होगी .ये तो हद हो गयी.

दूसरे दिन नए नंबर से फिर फ़ोन आये ,फ़ोन सायलेंट पर था इसलिए उठा नहीं पाई. लेकिन एक बार सोच लिया की अब आखरी बार कोशिश कर लूं शायद समझ जाये.

खैर फोन उठाया .कौन ?कहाँ से बोल रहे हो?वहां से आवाज़ आयी .

किससे बात करना है?

संगीता से.

यहाँ कोई संगीता नहीं रहती.

आप कहाँ से बोल रहे हो?

इंदौर से.

इंदौर में कहाँ से ?

मालवा मिल से .

ये नम्बर किसने दिया ?

आपने .

मैंने तो नहीं दिया .

फिर मेरे कने (पास) कहाँ से आया ?

मुझे क्या पता?

आपने ही दिया है.

मैंने नहीं दिया.

फिर मेरे पास आया कहाँ से?

हो सकता है किसी ने गलत नंबर दिया हो,या आपने गलत नम्बर लिख लिया हो,या आपने गलत नंबर लगा दिया हो. रोंग नंबर ऐसे ही लगते है .

रात में आप ही पुलिस की धमकी दे रहे थे न.

अब बात गोल करना जरूरी थी मैंने कहा रात में आपके बाद किसने बात की थी.?

वो भैया थे पड़ोस में रहते है.

तो वो आपके फ़ोन से बात कर रहे थे. आपको पता है ये जो भी बात हो रही है फ़ोन पर सब रिकॉर्ड हो जाती है अगर पुलिस में ये नंबर दे दू तो एक घंटे में पुलिस कंपनी से आपका नाम और क्या बात हुई ,और कितनी बार फ़ोन लगे सब निकाल लेगी. फ़ोन आपका है तो फंस आप जाओगे.

लगा बात उसके दिमाग में घुस रही है.पास बैठी बिटिया ने कंधे उचकाए ,क्या मम्मी उसे समझा रही हो.पर मेरे दिमाग में चल रहा था आज मुझे तो कल किसी और को परेशान करेगा इसलिए बात समझाना जरूरी है. और ये तो दोस्ती में पिसने वाला है.

देखो में वो नहीं हूँ जिससे आपको बात करना है और अगर किसी ने ये नंबर आपको दिया है तो गलत दिया है.आपके दोस्त ने ५० फ़ोन किये उसका नम्बर मैंने पुलिसे को दे दिया है अब अगर आप भी परेशान करोगे तो आपका नंबर भी देना पड़ेगा .और पुलिसे सब पता कर लेगी.

अच्छा ,आंटी जी गलती हो गयी अब नहीं करेंगे फ़ोन.माफ़ कर दो.मैंने कहा हां अब ध्यान रखना किसी को भी फोन पर परेशान नहीं करना ठीक है.

ठीक है आंटी जी .

अब स्कूल चाहे छुट्टी देदे में सिखाये बिना नहीं रह सकती तो में क्या करूँ .




Wednesday, May 11, 2011

इंतजार ११

मधु से मंदिर में मिल कर मधुसुदन को कई पुरानी बातें याद आ गयीं .कैसे उसकी मधु से मुलाकात हुई कब वो प्यार में बदली और फिर समय ने कैसी करवट की .उस रिश्ते का क्या हुआ ?मधु से मिलकर उसे सारी बात बताने के बाद भी वह शांत थी ...उसके बाद वह फिर नहीं मिली मुझसे .आज मंदिर में मुलाकात हुई क्या ये मुलाकात आगे भी जारी रहेंगी ...३३ सालों बाद इन मुलाकातों का क्या स्वरुप होगा .. मधु से फिर मुलाकात हुई और आगे भी होती रही फिर....)अब आगे..

जिंदगी बहुत अच्छी चल रही थी .हफ्ते में कई शामें सबके साथ बीतती .मधु से अकेले मिलने का समय तो नहीं मिलता ,लेकिन उसका सानिध्य अच्छा लगता था .पर रात में भयावह सन्नाटा. उम्र और अकेलेपन की थकान मुझ पर हावी होती जा रही थी. मेरे रिटायर्मेंट को दो महीने बचे थे .बेटे के फ़ोन आ रहे थे पापा आप अमेरिका आ जाइये .भैया भाभी भी अकेले थे भैया चाहते थे में शाहपुर आ जाऊ और हम साथ ही रहे. में मधु को छोड़कर जाना नहीं चाहता था,हालाँकि हम साथ हो कर भी उतने ही दूर थे जितने नदी के दो किनारे.
पुष्पा और माला बाहर गयीं थी आरती भी व्यस्त भी ,उस शाम मधु मेरे घर आयी हमने ढेर सारी बातें की फिर साथ में डिनर पर भी गए. उस रात मधु को उसके घर छोड़ते हुए एक ख्याल आया क्या हम साथ नहीं हो सकते ?क्या सालों पहले हुई गलती सुधारी नहीं जा सकती?
उस रात में इस बारे में सोचता रहा .मधु इतनी सहज थी की वो क्या सोचती है समझ पाना मुश्किल था. क्या उसके मन में अपने पुराने प्यार के लिए कोई कोना शेष है ?उसने शादी भी तो नहीं की शायद वो अब भी मुझे चाहती हो. कैसे पता करूँ क्या उससे पूछूं ?
मेरे मन ने कहा मधुसुदन जो भी करना है जल्दी करो एक बार उसकी सहेलियां आ गयी फिर उससे बात भी करना मुश्किल होगी .सारी रात बड़ी उहापोह में गुजरी.
अगले दिन रविवार था .मधु ने मुझे लंच पर बुलाया था. पुरानी गज़लें चल रही थीं. मधु किचन में व्यस्त थी .में यूं ही किताबें देखने लगा .किताबों के पीछे एक पुरानी डायरी रखी थी छुपा कर . मैंने किचन में झाँका मधु व्यस्त थी .मैंने वह डायरी निकाली.
बहुत पुरानी लगती है .पन्नो के बीच एक सूखा पत्ता रखा था.उस पेज पर कुछ पंक्तियाँ लिखी थी में पढ़ने लगा .
शाख से टूट कर गिरे पत्ते

फिर हरे नहीं होते .

उनकी जिंदगी होती है

उदास तनहा.

डायरी में नज्में ,गज़लें लिखी थी उस पेज के बाद के सारे पन्ने खाली थे.
उस शाम ऊपर से इतनी शांत दिखने वाली मधु अपने भीतर दुःख का समंदर छुपाये हुए थी मधु ने अपने आँचल में आ गिरे सूखे पत्ते को अपनी जिंदगी बना लिया . वह आज भी उसे संभाले हुए है इसका क्या मतलब समझूं क्या वह आज भी मुझे चाहती है?
कुछ आहट सी हुई मैंने डायरी वापस उसी जगह पर रख दी .खाना खाकर मम्मी दवाई लेकर सो गयी और हम फिल्म देखने लगे .मुझसे रहा न गया मधु तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है.
मधु ने टी वी बंद कर दिया और मेरी ओर देखने लगी
मैंने बिना भूमिका के बात शुरू की. में जानता हूँ सालों पहले जो हुआ वो मेरी कमजोरी थी पर सजा सिर्फ तुम्हे मिली .में तो इतना कमजोर था कि उसके बाद तुम्हारे बारे में जानने कि कोशिश भी नहीं की.में तुमसे माफ़ी मांगना चाहता हूँ.
आंसूं मेरे गालों तक ढलक आये थे. आज मधु ने भी अपने को मजबूत बनाने की कोशिश नहीं की उसकी भी आँखें भर आयीं .
अब इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता ,मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है.
मधु में बाकी जिंदगी तुम्हारे साथ गुजरना चाहता हूँ में जानता हूँ ये निहायत स्वार्थी पन है पर में आज भी उतना ही कमजोर हूँ जब ये अकेलापन मुझ पर हावी हो जाता है में खुद को बहुत असहाय पाता हूँ.
लेकिन मधुसुदन ये कैसे? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है .
मधु तुम घबराओ मत अच्छे से सोच लो में इंतजार करूंगा .
दरवाजे पर आहट हुई ,मम्मी वहां खड़ी थीं उनके चहरे पर मुस्कान थी .

में ऑफिस में था की फ़ोन की घंटी बजी पुष्पा थी ,-मधुसुदन जी मम्मी

क्या हुआ मम्मी को ?

मम्मी हमें छोड़ कर चलीं गयी. हम उन्हें लेकर घर जा रहे है .

जमीन पर मम्मी सफ़ेद चादर ओढ़ कर लेटीं थीं उनके चहरे पर उस दिन वाली मुस्कान थी सब कुछ बिलकुल शांत था .तभी मधु की दीदी आ गयीं मधु उनसे लिपट कर रो पड़ी तो कोई भी अपने आंसूं नहीं रोक पाया .मधु के ऑफिस के लोग और दूसरे परिचित अंतिम संस्कार के इंतजाम में लगे थे .मधु ने घोषणा कर दी की अंतिम संस्कार वह करेगी . थोड़ी बहुत खुसुर पुसुर हुई पर किसी ने विरोध नहीं किया.

उस दिन तो मम्मी बिलकुल ठीक थीं फिर अचानक क्या हुआ कुछ समझ में नहीं आया .पुष्पा माला और आरती को भी कुछ पता नहीं था.

गुरूद्वारे में शांति पाठ के बाद मधु की बहिन जीजा और बाकी रिश्तेदार भी चले गए. में भी घर आ गया .मुझे अपना सामान पेक करना था पांच दिन बाद में रिटायर होने वाला था और उसके अगले दिन रवानगी. में कुछ दिन और इंदौर में रहना चाहता था लेकिन बेटे के बार बार फ़ोन आ रहे थे या तो आप अमेरिका आ जाइये या शाहपुर चले जाइये आप अब और अकेले नहीं रहेंगे. भैया तो मुझे लेने आने के लिए भी तैयार हो गए थे बड़ी मुश्किल से उन्हें रोका .

यहाँ सब इतना अप्रत्याशित हो रहा था की कोई भी निर्णय लेना संभव नहीं था मधु के साथ कोई न कोई सहेली हमेशा बनी रहती .वैस भी ये समय मेरे प्रश्न के जवाब का नहीं था. क्रमश

Tuesday, May 10, 2011

इंतजार १०

( मधु से मंदिर में मिल कर मधुसुदन को कई पुरानी बातें याद आ गयीं .कैसे उसकी मधु से मुलाकात हुई कब वो प्यार में बदली और फिर समय ने कैसी करवट की .उस रिश्ते का क्या हुआ ?मधु से मिलकर उसे सारी बात बताने के बाद भी वह शांत थी ...उसके बाद वह फिर नहीं मिली मुझसे .आज मंदिर में मुलाकात हुई क्या ये मुलाकात आगे भी जारी रहेंगी ...३३ सालों बाद इन मुलाकातों का क्या स्वरुप होगा .. मधु से फिर मुलाकात हुई और आगे भी होती रही फिर....)अब आगे..

सुबह छः बजे मोबाईल बजा .पुष्पा का फ़ोन था,मधुसुदन जी मधु की मम्मी की तबियत अचानक ख़राब हो गयी है .हम उन्हें लेकर अस्पताल में है .
मैंने अस्पताल का नाम पता पूछा और तुरंत वहां पहुंचा. देखा चारों सहेलियां वहीँ थीं .
क्या हुआ?
सुबह ४ बजे उन्हें अस्थमा का अटेक आया. अभी आई सी यु में हैं आरती ने बताया .
तभी डॉक्टर ने बताया की उनकी हालत स्थिर है दो घंटे बाद वार्ड में शिफ्ट कर सकते हैं .
सबने राहत की सांस ली.
मधु ने पुष्पा और माला को कहा की अब तुम घर जाओ तुम्हे स्कूल जाना है आरती और मधुसुदन हैं यहाँ .
दोनों ने विरोध किया तो वह उन्हें प्यार से डपटते हुए बोली अरे!ऐसी जरूरतें तो पड़ती ही रहेंगी. तब हम सब को बारी बारी से छुट्टियाँ लेनी होगी. आज पांच छुट्टियाँ बिगाड़ने से क्या फायदा ? आरती के ऑफिस टाइम से पहले उसे भी भेज दूँगी उसके बैंक में ओडिट चल रहा है शाम को सब बारी बारी रहेंगे.
कितनी तैयार है मधु जिंदगी के हर उतार -चड़ाव के लिए. में बस देखता और सोचता ही रहा.
मम्मी को वार्ड में शिफ्ट कर दिया था. मधु ने आरती को भी भेज दिया था फिर मेरी ओर मुखातिब हुई .
न मुझसे जाने के लिए न कहना ,और हाँ मुझे छुट्टी नहीं लेनी पड़ती में यही से सब हेंडल करता रहूँगा फ़ोन है ना मैंने कहा .
मधु हंस दी.
दिन में केन्टीन में खाना खाते हुए मैंने मधु से पूछा तुम्हे डर नहीं लगता? किस बात का?हाथ का कोर हाथ में ही रखे उस ने मेरी आँखों में झांकते हुए पूछा .
में कुछ नहीं बोला.
हंस दी मधु . डरना क्या है ये तो जिंदगी है .माँ की उम्र ७५ से ऊपर है .ये तो चलता ही रहेगा .
उस दिन मंदिर के बाद आज पहली बार में और मधु अकेले मिल रहे थे . में मधु से बहुत कुछ पूछना चाहता था पर पूछ ना सका.
मम्मी अब ठीक थीं डॉक्टर ने घर ले जाने की इजाज़त दे दी थी .
मधु ने मम्मी से मेरा परिचय करवाया .मेरा नाम सुनकर उनके चेहरे पर एक शिकन सी आयी. और उन्होंने मधु को प्रश्नवाचक दृष्टी से देखा .
मधु ने उनके कंधे को धीरे से दबाया और बोली -हाँ मम्मी ये मधुसुदन हैं शाहपुर से अभी यहाँ तबादला हो कर आये है .आज सुबह से यहीं है अस्पताल में .अब चले?
उन्होंने असमंजस की सी स्थिति में सर हिलाया और चलने लगीं में अपने आप में गढ़ सा गया.

घर आकर मम्मी की सब व्यवस्था करके मधु सोफे में धंस गयी और गहरी सांस लेकर आँख बंद कर ली .
दिन भर मम्मी की तबियत और इलाज की जो चिंता उसने किसी पर प्रकट नहीं होने दी थी अब सब ठीक होने के बाद उस चिंता को अपने अंदर कैद किये रखने की थकावट उसके चेहरे पर थी
मुझे लगा अब मुझे चलना चाहिए मधु को भी अब आराम की जरूरत है पर उसे आँखें बंद किये बैठे देख कर उसे जगाना मुझे अच्छा नहीं लगा .
में यूं ही कमरे का मुआयना करने लगा .
एक छोटा सा हालनुमा कमरा मधु की सुरुचि को प्रकट कर रहा था .एक शेल्फ में किताबें तो दूसरे में डी वी डी दीवार पर एक बड़ी सी सीनरी जिसमे सूखे पेड़ों के पीछे डूबता सूरज दिख रहा था. मुझे उस शाम की याद आ गयी . डाइनिंग टेबल के अगल बगल दो दरवाजे एक शायद किचन में और दूसरा बेडरूम में खुलता होगा .

तभी दरवाज़ा खुला तो मधु ने आँख खोली .माला और पुष्पा थीं .

मम्मी कैसी है अब?माला ने धीरे से पूंछा .

तब तक पुष्पा अंदर कमरे में झांक आयी .माला ने मधु को मीठा सा उलाहना दिया ,थक गयी न ?कहा था हम रुक जाते है पर नहीं खुद को बड़ा जवान समझती है न सब अकेले कर लेगी.

मधु के चेहरे पर मुस्कान आ गयी .अरे में आज भी तुम सबसे ज्यादा जवान हूँ और सब हंस दिए.

पुष्पा यार काफी पिला दे देख दूध पड़ोस में होगा ले आ .

काफी पीते हुए हलकी फुलकी बातें होती रही फिर में घर आ गया। क्रमश

(आज ब्लॉग जगत में २ वर्ष पूरे हो गए कैसा रहा ये सफ़र इस बारे में बहुत कुछ कहना है लेकिन इस कहानी का सिलसिला न टूटे इसलिए वो फिर कभी. )

Monday, May 9, 2011

इंतजार . ९

( मधु से मंदिर में मिल कर मधुसुदन को कई पुरानी बातें याद आ गयीं .कैसे उसकी मधु से मुलाकात हुई कब वो प्यार में बदली और फिर समय ने कैसी करवट की .उस रिश्ते का क्या हुआ ?मधु से मिलकर उसे सारी बात बताने के बाद भी वह शांत थी ...उसके बाद वह फिर नहीं मिली मुझसे .आज मंदिर में मुलाकात हुई क्या ये मुलाकात आगे भी जारी रहेंगी ...३३ सालों बाद इन मुलाकातों का क्या स्वरुप होगा ...)अब आगे...

दो
महीने बाद सुधा से मेरी शादी हो गयी और छ महीने बाद बेहतर नौकरी मिलने पर में दिल्ली चला गया. करीब साल भर बाद जब वापस आया तो पता चला मधु की बहिन की शादी हो गयी और वह अपनी मम्मी के साथ किसी ओर शहर में चली गयी है .
इसके बाद से आज मधु से मुलाकात हुई .
में मधु से फिर मिलने को बेताब था लेकिन फ़ोन लगाने का साहस नहीं हुआ. अतीत के आईने में खुद का जो रूप मैंने देखा था उसने मेरी छवि मेरे ही मन मानस में कमजोर कर दी थी .
एक शाम माल में कुछ खरीदने जाना हुआ तभी पीछे से हंसी की आवाज़ सुनाई दी ,जिसमे एक आवाज़ काफी स्पष्ट और पहचानी हुई थी पलट कर देखा चार महिलाएं खड़ी हंस रही थी उनमे एक मधु थी .हाँ मधु की हंसी में अभी भी पहचान सकता हूँ वही खनकती हंसी.
मधु ने मेरा परिचय अपनी सहेलियों से करवाया .पुष्पा और माला किसी स्कूल में टीचर थीं और आरती बैंक में . हम चारों का ग्रुप है हमारी शामें साथ ही गुजरती है वो चारों ही अकेली थीं .पुष्पा,माला और मधु ने शादी नहीं की थी और आरती तलाकशुदा थी .
मैंने उन्हें कॉफ़ी पिलाने का प्रस्ताव रखा जिसे उन्होंने सहर्ष मान लिया .उनकी हंसी मजाक से पूरा कैफेटेरिया गूंजता रहा .वही बैठे बैठे उनका प्रोग्राम बना की कल शाम पुष्पा के घर डी वी डी पर फिल्म देखि जाये . मुझे भी आमंत्रित किया गया में इनकार न कर सका .मधु का सानिध्य अच्छा लग रहा था ,भले ही वहां अपनी दुनिया में अपनी सहेलियों के साथ मस्त थी पर उसे हँसता खिलखिलाता देख कर एक सुकून सा मिल रहा था.
मधु और उसकी सहेलियों की अपनी ही निराली दुनिया थी दिन भर काम और शाम को कहीं चाट पकोड़ी कभी किसी के घर मूवी देखना तो कभी गप गोष्ठी कभी किसी माल या मंदिर में चले जाना.
में भी धीरे धीरे उनके ग्रुप में शामिल हो गया बाहर जाना तो नहीं हो पाता पर उसकी सहेलियों के घर होने वाली गोष्ठियों में जरूर शामिल हो जाता.
लेकिन मुझे लगता मधु मुझे अपने घर बुलाने से कतराती है. शायद इसलिए की उसकी मम्मी उसके साथ ही रहती थी निश्चित ही उन्हें मेरे बारे में पता होगा और मधु उनसे मेरा परिचय नहीं करना चाह रही होगी. मुझे नहीं पता उसकी सहेलियां मेरे और मधु के सम्बन्ध में जानती है या नहीं .उनकी बातों या व्यवहार से मुझे कभी ऐसा लगा नहीं. वो एक दूसरे को अपने आप से बढ़कर मानती थी ऐसे में मेरा और मधु का पुराना रिश्ता कहीं तो कोई कटुता उनमे भरता जिसका कोई संकेत उनके व्यवहार में नहीं दिखता था.
चारों अकेले हो कर भी अकेली नहीं थी एक दूसरे के लिए परिवार से बढ़ कर थीं.
एक शाम आरती के घर से वापस आया तो फ्लेट में घुसते ही अकेलापन मुझ पर हावी हो गया. न जाने क्यों में मधु और अपने जीवन की तुलना करने लगा
मेरे पास तो मेरा पूरा परिवार था बेटा बेटी पत्नी,भाई बहिन माँ पिताजी सब .अकेली तो मधु थी ,बहिन की शादी के बाद सिर्फ वह और उसकी मम्मी. पर आज सुधा के जाने के बाद में बिलकुल अकेला हूँ.बेटा बेटी अपनी दुनिया में मस्त है हफ्ते में २-४ बार उनके फ़ोन जरूर आ जाते है. कुसुम भी अपनी गृहस्थी में व्यस्त है भैया भाभी जरूर कहते रहते है की अब नौकरी की क्या जरूरत है क्यों अकेले परदेश में पड़े हो यहीं आ जाओ .भैया के बच्चे भी बाहर चले गए है.
आज सबके होते हुए भी में अकेला हूँ बिलकुल अकेला. और मधु अकेले होते हुए भी अकेली नहीं है उसका एक आबाद संसार है.
उस रात मन बहुत उद्विग्न था पता नहीं कुर्सी पर बैठे बैठे कितनी ही सिगरेटें फूंक डाली फिर वही सो गया. क्रमश

Saturday, May 7, 2011

इंतजार ८

( मधु से मंदिर में मिल कर मधुसुदन को कई पुरानी बातें याद आ गयीं .कैसे उसकी मधु से मुलाकात हुई कब वो प्यार में बदली और फिर समय ने कैसी करवट की .उस रिश्ते का क्या हुआ )अब आगे...

भाभी
ने बताया सुधा बहुत अच्छी लड़की है .इंटर तक पढ़ी है और हर काम में होशियार है उनके दूर के रिश्ते के मामा की बेटी है .उसके पिताजी सरकारी नौकरी में ऊँचे ओहदे पर है .
उसके साथ सुख से रहोगे भैया .चाय का कप लेकर जाते हुए भाभी रुक गयीं ओर कहा भैया एक बात और अभी वो लोग इसी शहर में है इसलिए अभी ४-५ दिन आप उस लड़की से न मिलना .किसी ने देख लिया तो बनी बात बिगड़ जाएगी .
और चार पांच दिन? में कसमसा गया पर कहता किस्से वहां समझने वाला कोई था ही नहीं .
अगले ४-५ दिन शाम पांच बजे भैया मुझे लेने ऑफिस आ जाते कभी किसी रिश्तेदार के यहाँ जाने या फिर बाज़ार जाने के बहाने .बिना मुझसे कुछ कहे जिस तरह मुझे घेरा जा रहा था मुझे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था. कुछ कहूँ तो किससे और क्या? आखिर किसी ने मुझे तो कुछ कहा ही नहीं .सब कुछ बहुत सामान्य तरीके से हो रहा था.
मधु से मिले करीब बारह दिन हो गए थे मैंने उसे चिठ्ठी भिजवाई आज मिलने आ सकती हो?कॉलेज के पीछे .ठीक समय पर में भी वहां पहुँच गया पर मधु वहां नहीं थी. सामान्यतः वह मुझसे पहले ही पहुँच जाती ओर मेरे आने के तक किसी गीत या ग़ज़ल की कुछ पंक्तियाँ लिख कर रखती .उससे मिलने की बेताबी तो थी पर उसका वहां न होना एक सुकून भी दे रहा था. ये कैसा विरोधाभास था .हाँ लेकिन कुछ ऐसा ही था. में उसका सामना करने से बचना चाहता था. मेरे मन में एक अपराध बोध था.
मधु ने हलके नीले रंग का सलवार कमीज़ पहना था.उसके दुपट्टे का कोना जमीन पर टकरा रहा था जिसमे उलझ कर सूखे पत्ते उसके साथ चले आ रहे थे. कैसे हो तबियत तो ठीक है न कैसी सूरत बना रखी है?आते ही मधु ने अपनी उसी बेबाकी से पूछा और मेरे बालों को उँगलियों से संवारा .
एक कदम पीछे हट गया था में. मेरे मन का चोर उसकी निश्छल बेबाकी का सामना नहीं कर सका .पतझड़ का मौसम था पेड़ों के नीचे सूखे पत्तों की चादर बिछी हुई थी में मधु के सामने बैठ गया.और दिनों की तरह उसके बगल में बैठ कर उसके बालों को सहलाने या उसके हाथों को अपने हाथ में लेकर उसकी लम्बी पतली उँगलियों से खेलने का साहस नहीं था मुझमे .
मैंने बिना उसकी ओर देखे शुरू से आखिर तक की पूरी कहानी उसे सुना दी.
मधु ख़ामोशी से सुनती रही न उसने मुझे टोका न कुछ पूछा .शायद जीवन की जद्दोजहद ने उसे इतना मजबूत बना दिया था .या मेरी कहानी सुनते हुए उसने जान लिया था में एक बेहद कमजोर इन्सान हूँ और मुझे आत्मग्लानी से उबारने के लिए उसने खुद को पत्थर सा मजबूत बना लिया था जब मैंने बात ख़त्म की मेरा गला रुंधा हुआ था और आँखें भरी हुई.
मैंने मधु की ओर देखा.वह दो पल मेरी ओर देखती रही फिर मेरे आंसूं पोंछते हुए कहा बधाई हो तुम्हारी सगाई हो गयी. तभी पेड़ से टूट कर एक सूखा पत्ता उसकी गोद में गिरा उसे हाथ में लेकर वह उसे देखती रही फिर हंस दी .पत्ता मुझे दिखा कर बोली शायद ये कोई इशारा है .
मुझे कुछ समझ न आया.
तुम्हारे घरवाले ठीक ही कहते है तुम्हे अब मुझसे नहीं मिलना चाहिए .परिवार पहले है .तुम मेरी चिंता मत करो.बस हमेशा खुश रहना अब हम कभी नहीं मिलेंगे गुड बाय.
और मधु चली गयी .में दूर तक उसे जाते देखता रहा जब तक उसका आसमानी आँचल क्षितिज से एकाकार न हो गया . क्रमश

Wednesday, May 4, 2011

इंतजार ....७

(मधु और मधुसुदन मंदिर में अचानक मिले देखते ही बरसों पुरानी बातें ताज़ा हो गयी. थोड़ी देर साथ बैठ कर एक दूसरे के बारे में जानकारी ली एक दूसरे का पता फोन नंबर लिया .मधु के जाने के बाद में वही बैठ कर पुरानी यादों में खो गया .पता नहीं कैसे पर घर में मधु के बारे में पता चल गया घर पहुंचते ही माँ पिताजी और दादी के सवालात शुरू हो गए.जब मधु के बारे में बताया तो घर में बवाल मच गया. माँ ने अनशन की धमकी दे दी. उस दिन मधु से नहीं मिला जब घर पहुंचा माँ को अस्पताल ले जाते देखा.अनशन से माँ की हालत ख़राब हो गयी थी.उन्हें वचन दिया की कोई ऐसा कम नहीं करूंगा जिससे कुसुम की शादी में कोई रूकावट आये .फिर ऑफिस के काम से दिल्ली चला गया.जब लौट कर आया...)अब आगे

घर आ कर एक सिगरेट सुलगाई और बाहर बालकनी में आ गया.
दिल्ली में चार -पांच दिन रहा पर कुछ भी तो नहीं सोच सका .न ही किसी निर्णय पर पहुँच सका .मधु से मिलूंगा तो क्या कहूँगा कैसे सब बताऊंगा इस बारे में सोचने से बचता रहा

वापस घर पहुंचा तो किन्ही मेहमानों को बैठक में पिताजी के साथ बैठे देखा. मुझे देख कर पिताजी ने बड़े गर्व से कहा ये आ गया मेरा बेटा.
आओ बेटा सफ़र कैसा रहा जैसी कुछ औपचारिक बातें कर के में अंदर आ गया.
भाभी से पूछना चाहा की ये लोग कौन है ?पर वो काम बहुत है भैया अभी बताते है कह कर चली गयी.
सफ़र की थकान मेरी आँख लग गयी.

भैया उठो चाय पी लो छुटकी की आवाज़ पर मेरी नींद खुली .भैया जल्दी से चाय पी कर तैयार हो जाइये पिताजी बुला रहे है.उन्हें आपको लेकर कही जाना है.
पर कहाँ ?भैया कहाँ हैं?वो चले जाएँ ना .मैंने अलसाते हुए कहा .
भैया भी तैयार बैठे है बस आपका इंतजार कर रहे है.
तैयार हो कर नीचे पहुंचा तो देखा दो रिक्शे खड़े है. पिताजी ने भैया को माँ के साथ बैठने को कहा ओर खुद मेरे साथ रिक्शे में बैठ गए.
बुरे फंसे मैंने मन में सोचा .अब माँ के साथ होता तो कुछ पूछता भी ,हम कहाँ जा रहे है? पर पिताजी से कुछ पूछना उनका उस दिन का गुस्सा याद था मुझे सो चुप ही रहा.
अगले एक -डेढ़ घंटे के घटनाक्रम में में मूक दर्शक ही बना रहा. चाय की ट्रे ले कर आयी एक लड़की ,आस-पास की बातें परदे के पीछे से झांकती आँखें फुसफुसाहटे ओर हंसी की आवाजें .
जब माँ ने पूछा तुझे लड़की पसंद है तो कसमसा कर रह गया में . सिर्फ यही कह पाया -माँ S S
माँ ने आँखों में अनुनय की .
माँ थोडा समय तो दो मैंने विनती भरे स्वर में कहा.
बेटा तेरे पिताजी. ..
माथे पर टीका हाथ में श्रीफल और कंधे पर शाल डाले घर तक पहुँचने तक क्या क्या हुआ याद नहीं.
आज भी मधु से नहीं मिल पाया वह मेरा इंतजार कर रही होगी. मैंने जो चार पांच दिन की मियाद ली थी वह पूरी हो गयी थी. आज तो उसे खबर भी नहीं भिजवाई थी .न जाने वह अकेले कब तक मेरा इंतजार करती रही होगी.
घर पहुँचते ही पिताजी ने ऐलान कर दिया -अब अपने लाडले से कह दो उस लड़की से न मिले .रूपया नारियल हो चुका है .अब ऐसी कोई बात लड़की वालों तक पहुंचेगी तो रिश्ता भी बिगड़ सकता है ओर खानदान की बदनामी भी होगी.
ठंडी हवा से एक सिरहन सी हुई,में बालकनी से अंदर आ गया.
अंदर बस यूं ही आईने के सामने खड़ा हो गया .यूं लगा जैसे खुद को नहीं किसी ओर को देख रहा हूँ. कौन है वह?असली मदुसुदन पर असली मदुसुदन कौन है? वह जो आईने में दिख रहा है या जो आईने के सामने खड़ा है.
आज मधु से मुलाकात,ओर बीती बातों का यूं याद आ जाना आज खुद के असली स्वरुप को देख रहा हूँ कायर ,डरपोक बेवफा मदुसुदन .
क्यों उस दिन बिना कुछ बोले पूछे में सबके साथ चला गया ?क्यों लौट कर मैंने विरोध नहीं किया मधु से शादी करने में सबसे बड़ी परेशानी कुसुम की शादी में ही आती न ,तो कुसुम की शादी होने तक में शादी न करता.
उस दिन हुए ड्रामे से घबरा गया था में या माँ की हालत देख कर,पिताजी के गुस्से से या..मैंने सर को झटक कर उन विचारों से बाहर आना चाहा.पर आईने में कोई ठहाका मार कर हंस दिया.
क्या तुम सच में मधु से प्यार करते थे ?प्यार तो उसने किया तुमसे अकेली है वह आज भी .तुम तो अपनी दुनिया में खो गए शादी बच्चे सब सुख उसे क्या मिला?
नज़रें नहीं मिला पाया में खुद से . आईने के सामने से हट गया . क्रमश

Tuesday, May 3, 2011

इंतजार ६

(मधु और मधुसुदन मंदिर में अचानक मिले देखते ही बरसों पुरानी बातें ताज़ा हो गयी. थोड़ी देर साथ बैठ कर एक दूसरे के बारे में जानकारी ली एक दूसरे का पता फोन नंबर लिया .मधु के जाने के बाद में वही बैठ कर पुरानी यादों में खो गया .पता नहीं कैसे पर घर में मधु के बारे में पता चल गया घर पहुंचते ही माँ पिताजी और दादी के सवालात शुरू हो गए.जब मधु के बारे में बताया तो घर में बवाल मच गया. माँ ने अनशन की धमकी दे दी. उस दिन मधु से नहीं मिला जब घर पहुंचा ..)अब आगे

पूरी शाम में आफिस में फाइलों में सर घुसाए बैठा रहा .रात करीब आठ बजे घर पहुंचा घर के सामने रिक्शा खड़ा था .कई सारे पास पडोसी जमा थे .तभी भैया माँ को गोद में उठाये बाहर आये और उन्हें रिक्शे में बैठा दिया .दूसरी तरफ से भाभी ने आकर माँ को संभाला और उनके साथ रिक्शे में बैठ गयी. क्या हुआ माँ को ?दरवाजे पर छुटकी दिखाई दी ,मुझे देखते ही बिलखने लगी -भैया माँ .
कुछ समझने का समय नहीं था मैंने साईकिल उठाई और रिक्शे के पीछे हो लिया.

माँ वैसे ही दो दिन की उपवासी थी उस पर तीसरे दिन का उनका अनशन .में गलियारे में हतप्रभ खड़ा था .
भैया तुम ये जिद छोड़ दो .माँ नहीं मानेगी .कल से सिर्फ रोये जा रही है बस यही कह रही है मेरी बेटी का जीवन नरक हो जायेगा .मेरी ममता का ऐसी कठिन परीक्षा क्यों ले रहे है भगवान .बेटे का सुख देखूं तो बेटी का जीवन ख़राब और बेटी को देखूं तो बेटे को जीवन भर का संताप.एक ब्राह्मण के घर पंजाबी बहु .भैया फिर कौन ब्राह्मण इस घर की लड़की लेगा .भाभी ने कहा .
माँ को होश आ गया था उनसे मिलने गया तो मुझे देख कर हाथ जोड़ लिए उन्होंने और झर झर आंसू रोने लगी .अपने को रोक नहीं पाया में भी .माँ के कमजोर हाथों को अपने हाथ में लेकर देर तक रोता रहा .
माँ की तकलीफ तो महसूस ही नहीं की मैंने सिर्फ अपने बारे में सोचता रहा .उस रात में अस्पताल में ही रुका और सारी रात माँ और कुसुम के बारे में सोचता रहा.
दूसरे दिन माँ घर आ गयी .मैंने उन्हें वचन दिया में ऐसा कुछ नहीं करूंगा जिससे कुसुम का जीवन ख़राब हो पर मुझे मधु से मिलना तो होगा. माँ कुछ न बोली पर उनकी आँखे कहती रही बेटा मैंने तुझ पर विश्वास किया है तू इसे न तोड़ना.
आफिस के काम से किसी को दिल्ली भेजना था मैंने झट से इस मौके को झपट लिया .शायद यहाँ से दूर रह कर में ठीक से कुछ सोच और समझ सकूं.

मधु के यहाँ फिर एक चिठ्ठी पहुंचाई -आफिस के काम से बाहर जा रहा हूँ ,४-५ दिन बाद लौटूंगा .
जब से मधु से मुलाकात हुई थी ये पहला मौका था जब लगातार इतने दिन उससे नहीं मिला था.
आज सोचता हूँ कैसा लगा होगा मधु को ??
रात गहरा गयी थी. मंदिर बंद होने को था.में भी उठ कर घर की और चल दिया. क्रमश

Monday, May 2, 2011

इंतजार ५

(मधु और मधुसुदन मंदिर में अचानक मिले देखते ही बरसों पुरानी बातें ताज़ा हो गयी. थोड़ी देर साथ बैठ कर एक दूसरे के बारे में जानकारी ली एक दूसरे का पता फोन नंबर लिया .मधु के जाने के बाद में वही बैठ कर पुरानी यादों में खो गया .पता नहीं कैसे पर घर में मधु के बारे में पता चल गया घर पहुंचते ही मान पिताजी और दादी के सवालात शुरू हो गए. )अब आगे.

मधु नाम है उसका .मेरे साथ कॉलेज में पढती थी तीन साल पीछे थी वही हमारी जान -पहचान हुई. पिताजी नहीं है उसके .मम्मी और एक बड़ी बहन है .पिताजी की पेंशन से घर चलता है बस .
हे भगवान ,तेरी मति को क्या हो गया है रे मधुसुदन ,बिना बाप भाई की लड़की कौन जात है ?
बहुत बड़ा मुद्दा था ये में चुप लगा गया .
लेकिन दादी वह बहुत अच्छी है, सुंदर है, समझदार है पढ़ने में बहुत होशियार है.
अरे तो कौन सी नौकरी करवानी है हमें तेरी बहु से?घर में न बाप न भाई फिर परजात. बारात द्वारे खड़ी होगी तो घोड़ी से उतर कर तू अगुआई करेगा ? हमारे रिश्ते-नातेदार क्या कहेंगे ?और अपनी बहिन की तो सोच तू.परजात लड़की ले आएगा तो उसके लिए रिश्ते कहाँ से लायेंगे कौन ब्याहेगा उसे?
इस बात पर माँ ने फिर रोना शुरू कर दिया.
पढ़ी लिखी है तो नौकरी करने के भी अरमान होंगे उसके ?पिताजी ने पूंछा.
जी सिटपिटा गया में.
लो सुन लो तुम्हारे लाडले की बात इस घर की बहु अब नौकरी करेगी. पूरे खानदान में थू थू करवाना बेटा ,बस यही उम्मीद थी तुमसे .ये दिन ही देखना रह गया था .पिताजी गुस्से में थर्रा गए उनकी आवाज़ फटने लगी.
भैया तुम शांति रखो ,मधुसुदन देख रे ऐसा कोई काम न करना भैया जिससे परिवार में दो फाड़ हो जाये .तेरे बाबूजी के लिए इतना गुस्सा ठीक नहीं है बेटा .
अरे छुटकी तेरे बाबूजी के लिए पानी ला .दादी ने आवाज़ लगाईं.
माँ मेरे पास आ गयी देख बेकार की जिद न कर एक परजात लड़की से तेरा ब्याह नहीं हो सकता तेरी बहिन कुंवारी रह जाएगी कोई नहीं ब्याहेगा बेटा उसे. तू मेरी कसम खा कभी नहीं मिलेगा उससे कोई मेलजोल नहीं रखेगा .
माँ ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने सर पर रख लिया .
बौखला गया में .अपना हाथ छुड़ा कर झुंझला कर कहा माँ ये क्या नाटक है ?में उससे प्यार करता हूँ और उसी से शादी करूंगा .गुस्से के आवेग में में सारी मर्यादा भूल गया पिताजी दादी की उपस्थिति का भी ख्याल नहीं किया मैंने.
कमरे में एक पल को सन्नाटा पसर गया.
ठीक है अगर तू नहीं मानेगा तो मेरी बात भी सुन ले में भी खाना पीना बंद करती हूँ आज से अभी से. मेरे जीतेजी वो इस घर में बहु बन कर नहीं आएगी तेरी जिद पूरी करने में अपनी बेटी को कुंवारी नहीं देख सकती सारी जिंदगी. माँ सुबकती हुई चौके में चली गयी .
पिताजी उठ कर अंदर चले गए दादी ने फिर माला जपना शुरू कर दिया .
अपने कमरे में आ कर निढाल पढ़ गया में दो घंटे पहले मधु के साथ बिताये वो खूबसूरत पल इस ड्रामे में मटियामेट हो गए.
मधु -मधु तुम्हारे बिना कैसे जिऊंगा में ?तुम्हारी आँखों में मैंने इतने सपने भरे थे अब कैसे कहूँ की वो सिर्फ सपने थे .हमें उन्हें नहीं देखना चाहिए था .हमारी शादी नहीं हो सकती क्योंकि तुम्हारे परिवार में कोई मर्द नहीं है तुम्हारे घर में हमारे रिश्तेदारों का स्वागत करने वाला कोई नहीं है. तुम हमारे समाज की नहीं .तुमसे शादी करने पर मेरी प्यारी छोटी बहिन कुंवारी रह जाएगी.
भैया खाना खा लो. कमरे के दरवाजे पर कुसुम खड़ी थी मेरी छोटी बहिन छुटकी .
मुझे भूख नहीं है.
भैया थोडा सा खा लो न उसने विनय की.
छुटकी माँ ने खाना खाया?में उठ कर बैठ गया. एक पल को चुप लगा गयी वो.वोsss अभी तो नहीं खाया .आप खाओ लो भैया .भाभी और में माँ को खाना खिला देंगे.
ओह्ह मतलब माँ सच में अनशन पर उतर आयी है. मुझे भूख नहीं है छुटकी तू जा बस एक लोटा पानी रख जा.
भैया रूआंसी आवाज़ में उसने कहा .
क्या है ?
कुछ नहीं .पानी रख कर वह चली गयी.
रात कब आँख लगी याद नहीं पर सुबह आँख देर से खुली.में जल्दी से तैयार होने लगा भूख जोर से लगी थी.चाय भी नहीं पी थी.
भैया चाय बनाऊं या खाना ही खाओगे ?ऑफ़िस का समय हो गया है.
खाना बन गया है क्या?बहुत जोर से भूख लगी है.
हाँ हाँ बन गया है यही ले आऊं?पिताजी खाना खा रहे है.
हाँ बहना यही ले आ .

आफिस में काम में मन न लगा यही विचार आते रहे मधु से क्या कहूँगा कैसे बताऊँ कल उसे लेकर घर में क्या क्या हुआ?
अरे यार क्या मुर्दानी सूरत बना रखी है क्या बात है तबियत तो ठीक है?मेरे एक सहयोगी ने मुझे टोका.
हाँ हाँ सब ठीक है बस जरा नींद पूरी नहीं हुई.
हूँ होता है बरखुरदार इस उम्र में ऐसा ही होता है.और वह ठहाके लगाते हुए आगे बढ़ गए
तो क्या सच में मेरे चेहरे से ऐसा लग रहा है?फिर तो मधु एक सेकेण्ड में पकड़ लेगी
क्या करूँ कैसे जाऊं उसके पास?शाम को वो कॉलेज के पीछे मेरा इंतजार करेगी.
नहीं अभी उसे कुछ बताना ठीक नहीं है .
तो न मिलूँ उससे?लेकिन उससे मिले बिना भी तो नहीं रह सकता .
लेकिन अगर मिला तो वह पकड़ लेगी और एक एक बात खोद कर निकलवा लेगी
मैंने एक छोटा सा ख़त मधु के नाम लिखा आज कुछ जरूरी काम है मिलना नहीं हो सकेगा और लिफाफे में बंद करके चपरासी के हाथ इस ताकीद के साथ भिजवा दिया की पहले नाम पूछना और पत्र सिर्फ मधु के हाथ में देना. अपने घर हुए ड्रामे को उसके घर नहीं दुहराना चाहता था में. क्रमश

Sunday, May 1, 2011

इंतजार ४

(मधु और मधुसुदन मंदिर में अचानक मिले देखते ही बरसों पुरानी बातें ताज़ा हो गयी. थोड़ी देर साथ बैठ कर एक दूसरे के बारे में जानकारी ली एक दूसरे का पता फोन नंबर लिया .मधु के जाने के बाद में वही बैठ कर पुरानी यादों में खो गया )अब आगे
घर में घुसते ही लगा आज माहौल में घुटन सी है .छोटी बहन मुझे देखते ही अंदर चली गयी . माँ चौके के दरवाजे पर खड़ी थी ,उसकी सूजी आँखे बता रही थी वह खूब रो चुकी है .दादी अपनी जप माला लिए मुझे ही देख रही थी भाभी भैया वहां नहीं थे भैया शायद आये नहीं थे और भाभी या तो कमरे में थी या चौके में . पिताजी का सदा का साथी अख़बार जमीन पर ओंधे मुंह पड़ा था . मैंने दिमाग पर जोर दिया की क्या बात हो सकती है ?तभी पिताजी गरजे -लो आ गए साहब बहादुर अब इन्ही से पूछो सच बात.
में सिटपिटा गया -माँ क्या हुआ?
माँ ने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया .आँचल से मुंह ढके खड़े खड़े उनका पूरा शरीर हिल गया .में झुंझला गया .माँ कुछ बताओ भी क्या हुआ ?
कोई जवाब न पा कर में वही कुरसी पर बैठ कर जूते मोज़े उतारने लगा . ऐ छुटकी पानी ला मैंने बहन को आवाज़ लगाई.
वह मुझे पानी का गिलास पकड़ा कर तुरंत अंदर भाग गयी जैसे अगर वहां रुकी तो उस पर भी कोई गाज गिर पड़ेगी.
पानी का गिलास नीचे रखते मैंने फिर माँ से पूछा -माँ ये रोना धोना बंद करो और बताओ बात क्या है?
माँ ने सुबकते हुए कहा -तू आजकल किस लड़की के साथ घूमता फिरता है ?कहते हुए वह फिर सुबकने लगी.
ओह तो ये बात घर तक पहुँच गयी . में सन्न रह गया.मैंने इस बारे में कभी विचार ही नहीं किया .में तो अपने ख्वाबों की दुनिया में मधु के साथ प्रेम की पेंगे ले रहा था ऊँची और ऊँची . बिना धरातल की खुरदुराहट को महसूस किये .इस प्रश्न ने मुझे उस झूले से उतार कर जमीन पर खड़ा कर दिया था .
कौन है ये लड़की ?किस जात,खानदान की है?लड़की का बाप क्या करे है रे ?माँ को पुत्र मोह में बेबस जान कर अब दादी ने मोर्चा संभाला और एक साथ कई प्रश्न दाग दिए .
दादी के प्रश्नों के साथ माँ का रोना और बढ़ गया ,अब पिताजी गरजे -अब तू चुप कर तेरी गंगा जमना बहाने से मामला नहीं सुलटने का .अरे बोलने तो दे तेरे पुत्तर को .
मधु के सामने शेखी बघारते मेरा सीना चौगुना हो जाता था जो इस समय पिद्दी सा हुआ जा रहा था.क्या करूँ बोलूं या न बोलूं ?एक न एक दिन तो ये बात होनी ही है.पर आज मामला गरम है आज टाल दूं फिर माँ से बात करूंगा . मेरे मन में द्वन्द चल ही रहा था की दादी फिर बोल पड़ी -अरे मधुसुदन उस लड़की ने तेरी इतनी बुद्धि फेर दी की तेरा बाप कुछ पूछे है तुझसे और तुझे जवाब देने की जरूरत ही न है .
तिलमिला गया में अब इससे मधु का तो कोई लेना देना ही नहीं है पर अब तो आज ही बात करनी होगी. कुछ देर चुप्पी छाई रही . क्रमश  

नर्मदे हर

 बेटियों की शादी के बाद से देव धोक लगातार चल रहा है। आते-जाते रास्ते में किसी मंदिर जाते न जाने कब किस किस के सामने बेटियों के सुंदर सुखद जी...