जैसे जैसे रास्ता सुनसान होता गया में ओर अधिक चौकन्नी हो कर बैठ गयी.मोबाइल हाथ में ले लिया ओर साइड मिरर से उस लड़की पर नज़र रखे हुए थी. हे भगवन बस ठीक से पहुँच जाएँ .अचानक गाड़ी के सामने एक कुत्ता आ गया गाड़ी में ब्रेक लगते ही में मेरे नकारात्मक विचारों को भी विराम मिला.मन ने खुद को धिक्कारा,छि ये क्या सोच रही हूँ में, ११ साल पहले जब हम इस कोलोनी में रहने आये थे तब कितनी ही बार इसी सड़क पर कितनी ही रात गए लोगो को लिफ्ट दी है.अगर कोई लिफ्ट न भी मांगे तो भी उसके पास गाड़ी रोक कर पूछ लेते थे कहाँ जाना है किसके घर जाना है आइये गाड़ी में बैठ जाइये हम भी उसी ओर जा रहे है. ओर आज एक लड़की से इतना डर.दुनिया इतनी भी बुरी नहीं है फिर कर भला हो भला का ये विश्वास आज डगमगा क्यों रहा है?लेकिन....मन यूं ही तो हार नहीं मानता ,जब उसके डर पर प्रहार होता है तो उसके अपने तर्क शुरू हो जाते है.संभल कर चलना ओर दूसरों की गलतियों से सीख लेना कोई बुरी बात तो नहीं है.फिर रोज़ इतनी ख़बरें पढ़ते है दूसरों को कोसते है आज जान बूझ कर खुद को मुसीबत में फंसा देना कहाँ की अकलमंदी है? फिर इस लड़की ने शराब पी रखी है भले वह भले घर की हो,लेकिन शराब के शौक पूरे करने के लिए तो माता पिता पैसे नहीं भेजते होंगे न?चेन खींचने की घटनाओं में अधिकतर कॉलेज जाने वाले लडके ही पकड़ाते है.जब घर से भेजे पैसे में खर्चे पूरे नहीं होते तो ये शोर्ट कट अपना लेते है.
अब तक हम तीनों ही खामोश बैठे थे. पतिदेव गाड़ी चला रहे थे ,में विचारों के झंझावत में फंसी थी ओर वह...पिछली सीट के अँधेरे में में देख नहीं पाई की वह क्या कर रही है या उसके क्या हाव भाव है. लेकिन मुझे लगा शायद वह कुछ सोच रही है,या शायद वह इतने नशे में है की कुछ सोच ही नहीं पा रही है.
टेक्सी स्टैंड आने को था तभी उसने अपनी चुप्पी तोड़ी अंकल प्लीज आप मुझे कही छोड़ दीजिये .शायद उसे भी अब रात गए अकेले टेक्सी से जाने में डर लग रहा था.
मैंने उससे कहा बेटा हमें पास ही कहीं कुछ काम है तुम टेक्सी से चली जाओ वो तुम्हे घर तक छोड़ देगा.तब तक हम चौराहे पर आ गए थे.
उसकी कातरता देख कर एक मन तो हुआ की उसे उसके घर तक छोड़ दिया जाये. लेकिन उसका घर कम से कम १० किलोमीटर दूर तो था ही ओर वह स्थान भी सुनसान था.
टेक्सी स्टैंड पर गाड़ी रुकते ही वह उतर गयी.लेकिन मैंने उसका पता पूछा टेक्सी वाले को समझाया ओर उससे कहा भैया इसे ठीक से इसके घर पहुंचा देना. उसकी चिंता भी हो रही थी.अजीब उलझन थी. टेक्सी वाला भी भला आदमी लगा उसने पता समझ कर मुझे आश्वस्त किया की वह जगह मुझे पता है में भी उसी इलाके में रहता हु आप चिंता न करें में इन्हें छोड़ दूंगा .
मैंने उससे कहा -जाओ बेटा आराम से चली जाओगी.वह गाड़ी के बिलकुल करीब आ गयी मेरा हाथ खिड़की पर रखा हुआ था ,मेरा हाथ पकड़ कर वह रो पड़ी.थेंक्यु आंटी आई ऍम सॉरी मैंने आपको बहुत परेशान किया आंटी मेरी शादी हो गयी है ये देखिये.उसने कुरते में दबा हुआ उसका मंगलसूत्र बाहर निकाला,मेरा अपने हसबंड से झगडा हो गया था सॉरी आंटी मैंने शराब पी हुई है .आप बहुत अच्छी है आंटी आपने मेरी इतनी मदद की.तभी मेरे पतिदेव भी वहां आ गए.वह उनकी ओर मुखातिब हुई अंकल प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिये मैंने आपको बहुत तकलीफ दी.
बेटा अगर आपकी कोई परेशानी है तो आप अपने माता पिता को क्यों नहीं बताती?
आंटी वो मुझसे बहुत नाराज़ है.में उन्हें नहीं बता सकती.
नहीं ऐसा नहीं है,वो चाहे कितने भी नाराज़ है, है तो माता पिता ,उनसे ज्यादा आपका भला ओर कोई नहीं सोच सकता. ओर फिर इस तरह अकेले रह कर शराब पी कर खुद को परेशानी में डालने से तो कोई हल नहीं निकालने वाला .तुम मेरी बेटी जैसी हो तुम्हे इस तरह शराब के नशे में देख कर दुःख हो रहा है.बेटा कोई भी परेशानी हो अपने माता पिता को जरूर बताओ.हो सकता है वो गुस्से में तुम्हे डांट दे शायद दो थप्पड़ भी लगा दे लेकिन फिर भी वो तुम्हारी परेशानी को दूर करने के लिए कुछ न कुछ जरूर करेंगे. वह मेरा हाथ पकडे हुए थी मैंने उसे गले लगा लिया. उस २० मिनिट के असमंजस के बाद मात्र ३ मिनिट में उसके साथ एक ऐसा सम्बन्ध सा बन गया ऐसी आत्मीयता हो गयी,उसका अकेलापन महसूस कर के बहुत दुःख हो रहा था.मुझे नहीं पता था की उसकी असली परेशानी क्या थी?मुझे नहीं लगता की जान कर भी में उस परेशानी को हल करने के लिए कुछ कर सकती थी ,लेकिन अब मुझे अफ़सोस हो रहा था.काश में उसे उसके घर तक छोड़ देती उससे कुछ बात कर लेती वह बहुत अकेली थी शायद उसका मन कुछ हल्का हो जाता,ओर उसके बाद वह खुद ही कोई हल ढूंढ लेती.
टेक्सी वाला इंतजार में खड़ा था,मुझे हॉस्पिटल जाने में देर हो रही थी आज मेरा डर मुझे एक अकेली लड़की की मदद करने से रोक चुका था.वह टेक्सी में बैठ कर चली गयी. में ओर पतिदेव गाड़ी में दो मिनिट ऐसे ही बैठे रहे..मेरा डर भाग चुका था,लेकिन उसकी जगह एक खाली पन था पिछली सीट के खालीपन से भी ज्यादा खालीपन लेकिन क्षणिक में ही एक अफ़सोस ने वह जगह भर ली थी जो हमेशा हमेशा रहेगा..काश में अपने डर पर काबू पा लेती.