रोज़ की तरह चंपा ने उठकर खाना बनाया ओर डब्बा साइकल पर टांग दिया नौ बजे उसे काम पर पहुंचना था .माथे पर चमकीली बिंदी ,आँखों में काजल,तेल लगा कर संवारे बाल ओर धुली हुई साडी पहने वह काम पर जाने को तैयार थी. उसके पति भूरा ने एक भरपूर नज़र उस पर डाली तो चंपा लजा गयी.
ठेकेदार ने भीड़ में खड़े मजदूरों को काम के हिसाब से तौला ओर ज्यादातर ओरतों को अलग खड़ा कर लिया .बाकियों से कह दिया आज ज्यादा काम नहीं है. चंपा झट से भूरा के साथ खडी हो गयी ओर ठेकेदार से बोली ये काम पर नहीं होगा तो में भी काम नहीं करूंगी .
ठेकेदार ने एक नज़र गदराई चंपा पर डाली ओर फिर काम न होने की बात दोहरा दी. चंपा ने काम करने से साफ इंकार कर दिया तो ठेकेदार ने अनिच्छा से भूरा को काम पर ले लिया.
ईंट उठाती ,माल बनाती,फावड़ा चलाती चंपा पर ठेकेदार की कामुक दृष्टी को भूरा ने भी महसूस किया .तभी ठेकेदार ने चंपा को देख कर अश्लील टिपण्णी कर दी .चंपा ने भूरा की ओर इस उम्मीद से देखा की वह कुछ कहेगा लेकिन भूरा ने तुरंत नज़र फेर ली ओर जल्दी जल्दी फावड़ा चलाने लगा.
उसे पता था इसी नज़र सिंकाई के एवाज़ में उसे काम मिला है ओर उसे काम की सख्त जरूरत है.
मजबूरी
आरती ने जैसे ही ऑफिस में प्रवेश किया उसका बॉस से सामना हो गया. नमस्ते करके वह उनकी नज़रों के सामने से हट जाना चाहती थी लेकिन उन्होंने एक फ़ाइल ले कर तुरंत उनके केबिन में आने का कह दिया.
मन ही मन झुंझलाते हुए उसने साड़ी के पल्लू को ठीक होने के बावजूद भी संवारा ओर फ़ाइल ले कर बॉस के केबिन में पहुँच गयी.
फ़ाइल एक ओर रख कर बॉस करीब आधा घंटे तक उससे अनावश्यक बातें करते रहे.वह उनकी बातों हंसी मजाक में छिपे अर्थों को समझते हुए भी अनजान सी बनी उनकी कामुक दृष्टी को अपने उभारों पर सहती रही. जब बाहर निकली तो तो मन खिन्न था .बॉस से ज्यादा खुद पर गुस्सा आ रहा था वह कुछ कहती क्यों नहीं क्यों चुप चाप सहती है?
मन में भरे गुबार के साथ घर पहुंची तो बाथरूम में जाकर चेहरे पर लगे धूल पसीने के साथ उस गुबार को भी बहा आयी .
रात में पति के सीने से लग कर उसकी इच्छा हुई की दिल का बोझ हल्का कर ले लेकिन करवट बदल कर उसने इस इच्छा को दबा दिया .
वह जानती थी इस महंगाई में घर की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए उसकी नौकरी कितनी जरूरी है.