आज एक सहेली के आग्रह पर स्कूल के नाटक के लिए कुछ लाइन लिखी थी।।
लड़कियों की शिक्षा
उन्हें भी है पनपने का पूरा अधिकार।
उचित देखभाल,भोजन और पढाई
लड़कियों की उन्नति से ही
दोनों घरों में खुशहाली है छाई।।
भ्रूण हत्या
बाबा मैं भी हूँ तुम्हारा ही अंश
मानों तो चलाऊँगी तुम्हारा ही वंश।
करुँगी जग में रोशन नाम तुम्हारा
न रोको इस दुनिया में आने से
पाने दो मुझे भी प्यार तुम्हारा।।
दहेज़
ना तौलो मान मेरा सोने-चांदी से
बड़ी आस से आयी हूँ अपना नैहर छोड़ के।
अपना लो मुझे अपनी बेटी समझ के
पा जाऊं तुममे मेरे माँ-बाबा प्यारे से।
बन जाये फिर इक संसार प्यारा प्यारा
जो हो कीमती हर इक दहेज़ से।
बाल विवाह
बचपन के झूले, गुड़ियों के खेल,
अम्मा की गोदी, सखियों का मेल,
भाई का प्यार, बाबा का दुलार,
सुख की नींद, भोला संसार,
न छीनो मुझसे करके बचपन में ब्याह
अम्मा ये है मेरी छोटी सी चाह।।