बिटिया बहुत दिनों से शिकायत कर रही थी की उसके बाल बहुत झड़ रहे हैं। कई शैम्पू बदल लिए खाने पीने में सुधार तो माना नहीं जा सकता था दो दिन बादाम खाईं चार दिन की छुट्टी ,धुन तो ये सवार थी कि किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाया जा रहा है खैर उसकी तसल्ली के लिए एक स्किन स्पेशलिस्ट से आज सुबह ग्यारह बजे का अपॉइंटमेंट लिया गया और ग्यारह बज कर तीन मिनिट पर क्लिनिक में पहुँच भी गए। (अब तीन मिनिट की देरी तो हम भारतियों का हक़ है )खैर ,वहाँ जा कर अपना नाम बताया विज़िटर्स स्लिप भरी फीस जमा की और अपनी बारी का इंतज़ार करने लगे। डॉक्टर के क्लिनिक में कोई पेशेंट था तो सोचा शायद हमसे पहले वाले का नंबर चल रहा होगा।
थोड़ी देर इंतज़ार के बाद किसी और महिला को अंदर जाने का कहा गया ,मैंने रिसेप्शन पर बैठे लडके से पूछा "हमारा ग्यारह बजे का टाइम था" तो जवाब मिला "जी मेम उनका भी ग्यारह बजे का ही टाइम था। "
"आप एक टाइम कितने लोगो को देते है ?"
"चार लोगों को " बिना किसी झिझक के जवाब मिला।
अब हमारा चौकना स्वाभाविक था। "ग्यारह से साढ़े ग्यारह तक का एक स्लॉट होता है जिसमे सभी को ग्यारह बजे का टाइम दिया जाता है जो पहले आ जाये वह पहले जाता है। "
"ऐसे में आप दस दस मिनिट बाद का टाइम दिया करिये जिससे किसी का टाइम ख़राब ना हो, कल मेरा एग्जाम है हमें भी जल्दी है।"बिटिया बोली।
मेम उन्हें भी बाहर जाना है everybody has their reasons .
ya exactly ,thats what i want to say ,everybody has their reasons thats why they are taking appointment .you are professionals so be professional.
"मेम आप अंदर डॉक्टर से बात कर लीजिये। "
" जरूर "
क्लिनिक में रिसेप्शन पर एक लड़की और एक लड़का बैठे थे ,उसके पीछे एक काउंटर था जिस के पीछे मेडिकल स्टोर था जिस पर तीन लड़कियां बैठी थीं। सारा काम कंप्यूटर पर इंटर कनेक्टेड था। डॉक्टर के केबिन के बगल में एक और केबिन था जिसमे उनकी श्रीमती जी जो स्त्री रोग विशेषज्ञ है बैठी थीं।
दस मिनिट बाद हमारा नंबर आ गया। हमारे वहाँ जाकर बैठते ही इण्टरकॉम पर फोन आया और डॉक्टर को बाहर हुए वाकये की खबर दे दी गयी।
खैर डॉक्टर ने बालों की जाँच की फिर बोले की कोई खास प्रॉब्लम नहीं है कुछ दवाइयां लिख देता हूँ बाकी बाहर काउंटर पर आपको समझ दिया जायेगा। उनका इतना कहते ही एक लड़की अंदर आ गयी और प्रिस्क्रिप्शन उठा कर हमें बाहर ले जाने के लिए खड़ी हो गयी। मैंने खाने पीने के बारे में एक दो बातें की और हम बाहर आ गए।
हमारे पहुंचते ही लड़कियों ने फटाफट दवाईयाँ निकाल दी साथ ही एक शैम्पू शैम्पू के बाद लगाने के लिए एक फोम फिर एक लोशन। वहाँ कुछ स्लिप्स रखीं थीं जिन पर प्रिंट था एक गोली रात में, एक गोली दिन में,रात में सोते समय ,खाने के बाद ,लड़की ने प्रिस्क्रिप्शन के हिसाब से फटा फट स्लिप्स चिपकाईं दूसरी लड़की ने झट से कंप्यूटर से बिल निकाला २३०२ रुपये। मन तो हुआ जाकर डॉक्टर से पूछूं कि जब कोई खास प्रॉब्लम नहीं है तो फिर इतनी महंगी दवाइयां और शैम्पू क्यों ?लेकिन बात बिटिया का मन रखने की थी इसलिए चुपचाप बाहर आ गए ,अरे हाँ एक बात बताना तो भूल ही गयी उसने २५०० में से २०० रुपये वापस कर दिए यानि पूरे दो रुपये का डिस्काउंट।
बाहर निकलते ही सबकी हँसी छूट गयी मैंने कहा "बेटा तेरे बालों का इलाज़ करवाते तो पापा के सारे बाल उड़ जायेंगे। "
इस तरह २६५० रुपये खर्च करके हम जब बाहर आये तो मुन्नाभाई एम बी बी एस के डॉक्टर रस्तोगी की तरह हंसते हुए घर आये।
अब इन २६५० रुपयों के खर्च को जस्टिफाय करना था ,बिटिया के पिताजी ने कहा ठीक है चार लड़कियों एक लडके का खर्च निकलने के लिए इतना तो करेगा ही ना।
मैंने कहा देख बेटा डॉक्टर ने तुम्हारे बाल खींच कर देखे जैसे ऐश्वर्या राय एक शैम्पू के एड में दिखती है तो ऐश्वर्या राय की बराबरी करने के लिए इतना खर्च जायज़ है।
पता नहीं इतनी सीरियस बातों के बीच ऐसा क्या था की हम सब नमस्ते लंदन के ऋषि कपूर और अक्षय कुमार की तरह बस हँसते रहे। हाँ अभी दवाई और शैम्पू का उपयोग शुरू नहीं किया है उसके परिणामो के बारे में बताने एक महीने बाद जाना है। फिर मिलेंगे।